कहते है की सच्चाई का मार्ग सबसे कठिन होता है, क्यों….?
सच्चा इंसान कौन होता है
क्या करता है
कैसे रहता है
उसकी जिंदगी कैसी होती है
कभी-कभी ऐसे काफी सारे सवाल हमारे दिमाग में उथल-पुथल मचाते रहते है की , आखिर सच्चे इंसान की परिभाषा क्या है।
एक दिन में यही सोच रहा था और उनके उत्तर ढूंढने की कोशिश कर रहा था, कुछ देर सोचने के बाद मुझे कुछ उत्तर मिले जिन्हे में आपके साथ शेयर कर रहा हूं, अगर आप मुझसे सहमत ना हों तो कृपया बिना किसी संकोच के मुझे बताएं।
अगर आप सोचते है की भारत में जितने भी साधु संत है वो सभी सच्चे है, तो आपकी सोच कोई नही बदल सकता।
अगर कोई साधु संत बन गया तो वो सच्चा इंसान हो गया , मेरे हिसाब से ऐसा नही होता।
एक सच्चा इंसान जरुरी नही वो ही हो जो सादा कपडे पहनता है, किसी से फ़ालतू नही बोलता, सादा जीवन जीता है, दुसरो की सेवा करता हो, सच्चाई और धर्म की बाते करता है।
एक सच्चा इंसान दिखने में अलग नही होता वो हम तुम जैसा ही होता है, फर्क सिर्फ इतना होता है की उसकी आत्मा सच्ची होती है, उसका मन सच्चा होता है
जो दुसरो की गलती को माफ़ करना जानता है, वो सच्चा इंसान है।
जो किसी जाती धर्म के के अनुसार लोगो में भेद न करे वो सच्चा इंसान है।
जिसे दुसरो के दर्द से दर्द हो और दूसरे की ख़ुशी में ख़ुशी, वो है सच्चा इंसान ।
जो पंछी और जानवरो से प्रेम करता हो वो है सच्चा इंसान।
जो अपना खाना भी किसी भूखे को दे दे वो है सच्चा इंसान।
जो किसी से अपने लिए कुछ करने की उम्मीद न रखे वो सच्चा इंसान है
जब कोई आदमी किसी अकेली लड़की को देखकर उसे गलत निग़ाहों से नही देखता, वो सच्चा इंसान है।
जो अपने माँ बाप की सच्चे दिल से सेवा करता है वो सच्चा इंसान है।