पुरानी यादें………….और वो (भाग – 2 )

दोस्तों इस भाग को पड़ने से पहले इसके पहले भाग को पढ़े, तभी आप इस भाग को एन्जॉय कर पाएंगे। 

धन्यबाद……!!!!!

उस दिन के बाद मुझे मेरी जिंदगी देवदास की तरह लगने लगी थी। लेकिन मेने कभी भी अपने गोल के रास्ते में किसी को नही आने दिया था। फिर उस लड़की के लिए में क्यों अपना फ्यूचर बर्बाद करता।
वैसे कॉलेज लाइफ अच्छे से एन्जॉय करने के लिए एक गर्लफ्रेंड की जरूरत तो थी, बिना गर्लफ्रेंड के कॉलेज लाइफ बकवास लगती थी इसीलिए मैने एक गर्लफ्रेंड बनाने का फैसला किया। अभी में एक गर्लफ्रेंड की तलाश में था, एक ऐसी गर्लफ्रेंड जिसे मेरी गरीबी से कोई परहेज़ ना हो। क्युकी उस वक़्त मेरी औकात नही थी गर्लफ्रेंड पर पैसा खर्च करने की। लेकिन में यह भूल गया था की आज के टाइम में ऐसी गर्लफ्रेंड हाथ में दिया लेकर ढूंढने से भी नही मिलती। पर मैने हार नही मानी और पढाई के साथ -साथ मेरी सर्च भी जारी थी। सेकंड ईयर के लास्ट सेम में मे टॉप थ्री में था , और उसका मुझे काफी फ़ायदा मिला। जहा मै खुद गर्लफ्रेंड ढूंढ़ता फिरता था, अब मुझे लड़कियों के प्रपोज़ल आने लगे थे , वो बात अलग है की उनमे से कोई भी गर्लफ्रेंड बनाने के लायक नही थी। फिर भी दिल को अच्छा लगता था। की कोई तो है जिसे में अच्छा लगता हु।
लेकिन मैने उनमे से किसी को भी गर्लफ्रेंड नही बनाया, थर्ड ईयर के स्टार्टिंग में मैने एक दूसरी लड़की को प्रपोज़ किया ,वो भी काफी सुन्दर थी। मेरे अंदर डर तो था की कही ये भी मना ना कर दे………
फिर भी मेने उसे प्रपोज़ किया। उस वक़्त वो बिना कुछ कहे चली गई उसने मेरी बात का जवाब नही दिया, में उससे डेली इशारो में पूछता था की मेरे प्रपोज़ल के बारे में क्या सोचा। लेकिन वो कुछ जवाब दिए बिना चली जाती।
फिर अचानक एक दिन उसकी सहेली मेरे पास आई और उसका नंबर देकर कहा की वो मुझसे बात करना चाहती है।
उस वक़्त ऐसा लगा की जिंदगी की सबसे बड़ी जंग जीत ली हो। बस अब झट से उसके पास उड़कर जाना चाहता था। दिल में एक अच्छी वाली फीलिंग आ रही थी।
मैने जल्दी से उसे फ़ोन लगाया , उसने फ़ोन उठाते ही कहा की वो मुझसे मिलना चाहती है। में एक दम चौक गया की उसे कैसे पता की ये मेरा ही नंबर है , कही वो छुप कर मुझे देख तो नही रही। मैने झट से अपने चारो तरफ देखा, पर कोई नही था।
फिर हमने मिलने की जगह तय की, उसने मुझे कॉलेज की कैंटीन मे बुलाया था , में दिए हुए समय से १० मिनट पहले पहुंच गया , मुझे काफी अच्छा फील हो रहा था।
ये मेरी फर्स्ट डेट थी… वो भी कॉलेज कैंटीन मे।
थोड़ी देर बाद वो अपनी फ्रेंड के साथ आई , वो मेरे सामने वाली कुर्सी पर आकर बैठ गई और उसकी फ्रेंड उसे छोड़कर चली गई।
उसने मेरा प्रपोज़ल एक्सेप्ट कर लिया था, उस दिन हमने करीब एक घंटे तक बात की, कुछ उसके बारे में कुछ मेरे बारे में। मुझे उससे बात करके काफी अच्छा लगा , उसका नेचर काफी अच्छा था।
अब मेरी भी एक गर्लफ्रेंड थी और अब कॉलेज मे मेरी और भी वैल्यू बढ़ गई थी।
अभी मेरी कॉलेज लाइफ मस्त चल रही रही ,कोई टेंशन नही थी ,धीरे धीरे हमारा रिश्ता भी मजबूत होता चला गया। अभी हमारा लास्ट सेम चल रहा था और प्लेसमेंट की तैयारी थी, मेरे कुछ दोस्तों को अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट मिल गया था और में भी किसी अच्छी प्रोफाइल की तलाश में था।
मे चाहता था मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड की जॉब एक ही कंपनी में लग जाए।
जिस कंपनी में मुझे जॉब मिली वो कंपनी उसे बहुत काम पैकेज ऑफर कर रही रही, इसीलिए हम एक कंपनी में नही लग सके लेकिन हम दोनों के ऑफिस ज्यादा दूरी पर नही थे।
दोनों ने शादी का फैसला कर लिया, उसकी कास्ट अलग थी फिर भी मेरे घर वाले तैयार थे लेकिन उसके भाई इस बात से राजी नही थे , उसके भाईयो ने मुझे काफी बार धमकाया भी लेकिन में नहीं डरा।
अगर लड़का लड़की राजी है और लड़के की भी अच्छी जॉब है तो फिर परेशानी क्या है शादी करना में। रहना उन दोनों को साथ में है फिर तुम्हे क्यों इतनी प्रॉब्लम हो रही है।
वो तुम्हारी बहन भूखा थोड़ी रखेगा। उसके भाई फिर भी नही माने उन्हें अपनी बहन से ज्यादा समाज की चिंता थी। वो मेरे साथ भागने को भी तैयार थी मगर मे इसके सख्त खिलाफ था।
उसके भाइयो की धमकी का जब मुझपर कोई असर नही नही हुआ तो उन्होंने मेरे घर फ़ोन करके धमकाना चालू कर दिया।
और माँ तो सबकी एक सी होती है। जल्दी ही घबरा जातीं है। उस दिन के बाद मेरी माँ भी मुझे उस लड़की को छोड़ने के लिए मजबूर करने लगी, मुझसे प्यार जो इतना करतीं हैं।
उसके भाइयो ने उसकी शादी कही और तय कर दी, और मुझे धमकी दी की अगर मैने कुछ किया तो वो पहले मेरी परिवार को मारेंगे फिर मुझे, मुझे पता था उन लोगो में किसी को मरने की हिम्मत नही थी, लेकिन वो चोट पहुँचा सकते थे। और मेरी वजह से मेरे किसी भी परिवार वालो को कोई परेशानी आये, ऐसा में बिलकुल भी नही चाहता था।
अभी में अपनी माँ और गर्लफ्रेंड में से किसी एक को चुनना था , और मेने अपनी माँ को चुना……………

मुझे नही पता तुम मेरी जगह क्या करते ,
जिसने तुम्हे जन्म दिया,तुम्हे पाला, जिसका तुम्हारे सिवा कोई नही है, तुम उसका साथ दोगे या अपनी गर्लफ्रेंड का……. .
मेने अपने परिवार को चुना , और अपनी गर्लफ्रेंड को सारी बातें बता दि………
उस वक़्त तो वो भी मुझसे सहमत थी …… पर पता नही वो उसने दिल से कहा या मेरी मजबूरी को समझकर।
उसकी शादी हो चुकी थी और मेरी माँ अब बहुत खुश थी , और मेरे लिए भी लड़की ढूंढ रही थी।
मेरी लव स्टोरी का दी एंड हो गया था , समय बीतता गया उसकी यादें कम होती गईं , और इस बीच मेरी भी शादी हो गई थी।

अभी ऑफिस में बैठे हुए चाय की चुस्की लेते हुए, कुर्सी को पीछे झुकाकर उन कॉलेज के दिनों को याद करता हु, तो अपने मन को उसी पल में ले जाता हुं , उन पलो में इतना डूब जाता हु की उस पल को फिर से जीने लगता हु, सिर्फ तभी तक जबतक कोई दरवाजे पर नॉक न करे।

आज मेरी लाइफ इतनी बिजी हो गई है की टाइम ही ही नही मिलता उन पलो को दुबारा जीने का।
जब भी कोशिश करता हु कोई ना कोई आकर नॉक कर देता है।

आप सभी से बस यही कहना चाहूंगा , जो पल एक बार चला गया वो फिर वापस नही आने वाला।
तो हर पल को जितना जी सकते हो, उतना एंजॉय करो।
हमेशा फ्रेंड्स बनाते रहो, और सदा खुश रहो।

मेरा लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद।


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