रिश्ता दो पल का….

आज सुबह आफिस के लिए निकलते बक्त मैने सोचा नही था की मेरे साथ कुछ अलग होने वाला था……… 
वही रोज की तरह मरे हुए मन से जैसे ही मै बस मे बैठा, मेरी नजर अचानक तुम पर पड़ी….. 
मै ड्राईवर के पीछे वाली लाईन मे बैठा हुआ था…….. और तुम मेरे से दो सीट आगे दरवाजे वाली लाइन मे बैठी हुई थी….. 
मैने जैसे ही तुमको देखा बस तुम्हे ही देखता रह गया….. भगवान् ने शायद काफी फुर्सत से बनाया होगा तुमको……. मेरी नजर मानो तुम पर केन्द्रित हो गईं हो……. ऐसा लग रहा था बस मे सिर्फ हम दोनो ही है……. मेरा और किसी पर ध्यान ही नही था……. तुम इतनी सुन्दर थी की…. तुम्हारी खुबसुरती की मै क्या तारीफ करूं…… तुम्हारा रंग इतना गोरा था मानो भगवान् ने बिना मिलावट वाले दुध मे एक चुटकी हल्दी मिलाकर तुम्हे बनाया हो….. तुम्हारी वो कंजी आखों मे मैं कब खो गया मुझे पता ही नही चला….. तुम्हारी उन झील सी आँखो मे मै डूबता चला गया…… तुम्हारे दाएं गाल से बहते हुए पसीने की धारा एक दम चमक रही थी….. जैसे ही तुमने रूमाल लेकर अपना हाथ पसीना पूछने के लिए बढ़ाया मेरी नजर तुम्हारे उस कोमल हाथ पर पड़ी….. तुम्हारे हाथ देखने मे ही कितने मुलायम लग रहे थे…. मै तुम्हारे हाथ थामना चाहता था….. तुमने महरूम रंग के मोती की गोलाकार अंगुठी पहनी हुई थी…..  और वो तुम्हारी आँख के बाजु मे ब्राउन तिल जिसने तुम्हारी खुबसुरती मे चार चाँद लगा दिए थे…… तुम्हारे होंठ गुलाब की पंखुड़ी को भी मात दे रहे थे…..  तुम्हारी आवाज की मै क्या तारीफ करूं…..जब तुम फोन पर बात कर रहीं थी तब तुम्हारी आवाज मे मानो सारे सुर घुले हुए हो…..ऐसी मधुर आवाज मैं जिंदगी भर सुनने के लिए तैयार था…मेरे चारो और क्या चल रहा था उस पर मेरा बिल्कुल भी ध्यान नही था….. मेरे कानो मे लगे हेंन्ड फ्री से आती हुई गानो की मधुर आवाज पर भी मेरा ध्यान नही था… जैसे कोई अन्देखी शक्ति मुझे सिर्फ तुम को देखने के लिए मजबूर कर रही हो….. मानो उस पल मे मैं खो सा गया था……. एक पल को जैसे मेरी जिन्दगी थम सी गईं हो…. जैसे तुमसे एक अनकहा रिश्ता सा जुड़ गया हो….  दिल मे एक अजीब सी बैचेनी उमड़ रही थी… मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था…… मै मन ही मन तुम्हे अपना बनाने के सपने देखने लगा था…… भगवान् से तुमको मांगने लगा था…. जब तुमने टिकट लिया तो दिल को ये जानकर सुकुन मिला कि हमे अभी लंबा सफर तय करना है… और मै तुम्हे ज्यादा देर तक देख पाऊगां…. उस बक्त जिन्दगी से कोई शिकायत नही थी…जिन्दगी मे तुम्हारे सिवा और कोई चाह नही थी…. नजर मेरी तुमपर थी, लेकिन मै किसी और ही दुनिया मे खो गया था… मै तुम्हारे साथ अपनी जिन्दगी की शुरूआत कर चुका था… और हम साथ साथ सुखी जीवन बिता रहे थे…. तभी अचानक तुम्हे सीट से खड़े होते देखा….. तुम्हारा स्टाप आ गया था…. पता ही नही चला डेढ़ घंटा कब गुजर गया…. जो डेढ़ घंटा रोज सदियो की तरह लगता था, वो आज उतना ही छोटा लग रहा था…… जैसे ही तुमने अपना बैग कंधे पर टांगा…..उस पल ऐसा लगा मानो अब जिन्दगी मे अब कुछ नही बचा है….. दो पल मे सब खतम् सा लग रहा था… तुम जा रही थी… और मेरा दिल तड़प रहा था… जैसे तुम्हे बर्षो से जानता है…. वो जुदाई सहन नही हो रही थी…. मेरा दिल अन्दर ही अन्दर रो रहा था…मैं तुम्हारे साथ चलना चाहता था….. तुम्हे आफिस तक छोड़ना चाहता था……. पर पता नही मै क्युं रूक गया…. क्या डर था मेरे दिल मे….. शायद यही की तुम मुझे गलत ना समझ लो…… मुझे बाकी लड़को की श्रेणी मे ना डाल दो… पर मेरा विश्वास करो … मैं गलत नही हुं… मेरी फीलींग सच्ची है, ये कैसे तुमको समझाऊ……मै तो तुम्हारे साथ अपना पूरा जीवन बिताना चाहता हुं….तुम्हारा हाथ थामकर जिन्दगी भर चलना चाहता हुं…. तुम्हारी वो मुस्कुराहट मुझे हमेशा जिन्दगी देती रहेगी… ताकि मै तुम्हे सदा खुश रख सकु.. और तुम्हारी हर इच्छा पूरी कर सकु…..मेरा दिल जोर जोर से चिल्ला कर तुम्हे रोक रहा था… पर मेरे दिल की आवाज तुम तक नही पहुंच सकी… तुम्हारे उतरते ही बस चल पड़ी… और मै अपने घायल दिल को लेकर तुम्हे ओझल होने तक देखता रहा… उस दिन के बाद तुम मुझे नही मिली… मै रोज तुम्हारे बस स्टाप पर तुम्हारे चढने का इंतजार करता हुं…. पता नही मेरे नसीब मे कब तुमसे फिर मिलना लिखा है…


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